गंगरेल के डुबान क्षेत्र के अंतिम छोर में बसे ग्राम सटीयारा में बने मंदिर में होती है.. महात्मा गांधी की विशेष पूजा अर्चना.....
दूर दराज से लोग 2 अक्टूबर गांधी जयंती के अवसर पर पहुंचते हैं.. इस मंदिर में गांधी जी के साथ, की जाती है अखबारों की भी पूजा....
मंदिर में अखबार को चढ़ाने कर पूजा करने से दुख तकलीफ दूर होने के साथ,मनोकामना होती है पूर्ण....
छत्तीसगढ़ के धमतरी जिले में बसा एक ऐसा मंदिर ...जहां 2 अक्टूबर गांधी जयंती के अवसर पर की जाती है... महात्मा गांधी की विशेष तौर पर पूजा अर्चना.... आपको बता दे की धमतरी जिले के वनांचल क्षेत्र में बसा हुआ... एक ऐसा अनोखा गांव हैं...जहां पहुंचने के लिए कई किलोमीटर की दूरी तय करके इस मंदिर में पहुंचा जा सकता है... जहां यह गांव बसा हुआ है... उस गांव का नाम है सटियारा....यह गांव गंगरेल बांध के पानी और जंगलों से गिरा हुआ है... यहां इस गांव तक पहुंचने के लिए लंबा ,पहाड़ी, रास्ता तय करना होता है.. या फिर गंगरेल के रास्ते से होते हुए 35 से 40 किलोमीटर नाव या वोट के सहारे इस मंदिर तक पहुंचने का एकमात्र साधन है... या फिर कांकेर चरामा की ओर से होते हुए... 60 से 65 किलोमीटर की दूरी तय करना होता है ...और यह रास्ता आसान नहीं है... क्योंकि यह क्षेत्र जंगलों और नदियों के बीच बसा हुआ है.. इस क्षेत्र में जंगली जानवरों का खतरा भी बना रहता है... यहां पहुंचने के लिए किसी गांव वालों या किसी जानकार को लेकर जाने से ही इस मार्ग तक पहुंचा जा सकता है....
मंदिरों में आमतौर पर देवी-देवता और भगवान की पूजा होती है....मगर छत्तीसगढ़ में एक ऐसा मंदिर है जहां आज भी अखबार की पूजा होती है....और मंदिर में भगवान की जगह ढेर सारा अखबार रखा हुआ है....दरअसल देश आजाद होने की खबर यहां के ग्रामीणों को अखबार के जरिये ही मिली थी....यही वजह है वे भगवान के बजाए अखबारों की पूजा करने लगे....धमतरी जिले के आदिवासी बाहुल्य गांव सटियारा के इस अनोखे मंदिर में 15 अगस्त और 26 जनवरी जैसे राष्ट्रीय त्योहारों पर पूजा-पाठ के साथ ही बड़ा जलसा होता है....यहां पूजा विधिवत तो होती ही है...तो वही लोग अखबारों को धूप,अगरबत्ती दिखाते है और आरती भी उतारते है.....
.धमतरी के गंगरेल बांध के उस पार बसे गांव सटियारा में आज भी एक अखबार की पूजा होती है....इस बात पर यकीन करना थोड़ा मुश्किल है....लेकिन यह सौ फीसदी सच है.... बताया जाता है कि जब देश आजाद हुआ तो इस गांव के लोगों को इसी अखबार के जरिए पहली बार देश की आजादी की खबर मिली थी....यही वजह है कि स्थानीय लोगों ने इस अखबार के लिए एक खास गांधी मंदिर बनाया हुआ है.....जहां हर साल 15 अगस्त और 26 जनवरी को मेला लगता है....जो देश भक्ति की मिसाल पेश करती है....देश को आजाद कराने में महात्मा गांधी और अखबारों की महत्वपूर्ण भूमिका रही...यही कारण है कि ग्रामीणों में गांधी के प्रति भी अटूट आस्था है......और ये परपंरा पीढ़ी दर पीढ़ी चली आ रही है.....
.जब भारत अंग्रेजों की गुलामी से मुक्त हुआ तो देश भर में जश्न ही जश्न का माहौल था लेकिन उस दौर में देश के एक कोने में आजादी की खबर के बाद घटी....वैसी मिसाल शायद दुनिया भर में शायद की कहीं मिल पाएं....वो कोना छत्तीसगढ़ के धमतरी जिले में है. सुदूर जंगल के बीच पानी से घिरे उस गांव में पहुंच कर लगता है कि देशभक्ति भारत के लोगों के रग रग में बसा है....सटियारा गांव गंगरेल बांध के पानी और जंगल से घिरा हुआ है.यहां के लोग खेती करते है मछली पकड़ते है और अपना गुजारा करते हैं....इस गांव तक पहुंचने के लिए लिए लंबा पहाड़ी रास्ता तय करना होता है या फिर चारों ओर पानी होने की वजह से मंदिर तक पहुंचने का एकमात्र साधन नाव होता है....जब देश आजाद हुआ तो यहां गंगरेल बांध नहीं थी, पूरी तरह जंगल से गांव घिरा हुआ था.....ना गांव में बिजली थी और ना ही कोई संसाधन....उस दौर में भारत की आजादी की खबर इन गांव वालों को इस अखबार से यह सूचना मिली थी कि देश आजाद हो गया है....तब से ही यहां के लोग इस अखबार को भगवान के बराबर सम्मान के साथ पूजते हैं....
.वैसे आज के जमाने मे व्यावसायिकता और मुकाबले मे फॅसी मीडिया के बदलते तेवर से बाखबर लोगो के लिऐ अखबारो का ये मन्दिर और उसकी पूजा किसी हैरत से कम नही है....यही वजह है कि दिलचस्पी के चलते सैलानी दूर दूर से इस अनोखे गाॅव मे आते है......
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